Chandrayaan 3 Launch Date: अब इस क्षण की प्रतीक्षा हो जाएगी ख़तम, चंद्रयान 3 जल्द ही होने जा रहा है लॉन्च

Krishna
3 Min Read

Chandrayaan 3 Launch Date: लॉन्च अब 14 जुलाई को दोपहर 2.35 बजे होने वाला है। चंद्रमा के साथ भारत की यात्रा के लिए अब कुछ ही दिन का और इंतजार करना होगा। 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), जिसने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि उसका बहुप्रतीक्षित चंद्र मिशन, चंद्रयान-3, 13 जुलाई को लॉन्च होना था ,लेकिन इसरो की तरफ से बताया गया है की एक दिन आगे बढ़ा दिया गया है। प्रक्षेपण अब 14 जुलाई को दोपहर 2.35 बजे निर्धारित है और यह श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में होगा। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि लैंडर के 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है।

यह मिशन चंद्रमा पर भारत का तीसरा उद्यम है और 2019 में चंद्रयान -2 मिशन का अनुसरण करता है। जबकि वह मिशन चंद्रमा की परिक्रमा करने तक सिमित रहा था, विक्रम लैंडर को एक कठिन लैंडिंग का सामना करना पड़ा था, जिसने रोवर को योजना के अनुसार तैनात होने से रोक दिया था। और मिशन चंद्रयान 2 भारत के लिए असफल साबित हुवा था।

कल, अंतरिक्ष एजेंसी (Indian Space Research Organisation) ने घोषणा की थी कि उसने अपने नए हेवी-लिफ्ट लॉन्च वाहन, लॉन्च व्हीकल मार्क 3 (LVM3) के साथ चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान वाले इनकैप्सुलेटेड असेंबली को सफलतापूर्वक एकीकृत कर लिया है।

https://twitter.com/isro/status/1676918082265321472?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1676918082265321472%7Ctwgr%5E59d00053ed4c2aa6b062ce52f1c2b63719b02a54%7Ctwcon%5Es1_&ref_url=https%3A%2F%2Fwww.ndtv.com%2Findia-news%2Fchandrayaan-3-indias-moon-mission-to-launch-on-july-14-from-sriharikota-4183325

चंद्रयान-3 में एक लैंडर मॉड्यूल, प्रोपल्शन मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है और इसका उद्देश्य अंतर-ग्रहीय मिशनों के लिए आवश्यक नई तकनीकों का विकास और प्रदर्शन करना है। मिशन के तीन प्राथमिक उद्देश्य हैं: चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और नरम लैंडिंग का प्रदर्शन करना; चंद्रमा पर रोवर की घूमने की क्षमताओं को प्रदर्शित करने के लिए; और वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना।

मिशन जो लैंडर पेलोड ले जाएगा, वह तापीय चालकता और तापमान को मापने के लिए चंद्रा के सतह थर्मोफिजिकल प्रयोग (ChaSTE) हैं; लैंगमुइर जांच, प्लाज्मा घनत्व और इसकी विविधताओं का अनुमान लगाने के लिए; और लैंडिंग स्थल के आसपास भूकंपीयता को मापने के लिए चंद्र भूकंपीय गतिविधि उपकरण (आईएलएसए)। यह चंद्र लेजर-रेंजिंग अध्ययन के लिए नासा से एक निष्क्रिय लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर ऐरे भी ले जाएगा। अब इस प्रक्षेपण पण भारत के साथ साथ पूरी दुनिया नजर लगाए बैठी हुई है। भारतीय भी 14 जुलाई की आतुरता से रह सीख रहे है।

यह भी पढे:

 

 

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now
Share this Article
By Krishna
Follow:
मैं कंटेंट राइटिंग (Content Writing) क्षेत्र में 3 साल से अधिक समय से कार्यरत हूँ। मैंने इस क्षेत्र में बायोग्राफी वेबसाइट से शुरुवात की थी। और आज में अपनी पूरी सेवा Taaza Time में दे रहा हूँ। मेरा काम है taazatime.com के माध्यम से भारत की जनता तक सही, उपयोगी, और लेटेस्ट खबरे पहुँचाना। ताज़ा टाइम का लक्ष्य ही है भारत को साफसूत्री और वास्तविक जानकारी प्रदान करना। धन्यवाद, वन्दे मातरम।
Leave a comment